मुस्लिम लड़कियों द्वारा कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका खारिज....
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के मामले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है। हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने आगे कहा कि राज्य द्वारा स्कूल ड्रेस का निर्धारण अनुच्छेद 25 के तहत छात्रों के अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है और इस प्रकार, कर्नाटक सरकार द्वारा 5 फरवरी को जारी सरकारी आदेश उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।
फलस्वरूप, कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें हिजाब (हेडस्कार्फ़) पहनने पर एक सरकारी पीयू कॉलेजों में प्रवेश से इनकार करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट द्वारा कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज करने के तीन आधार:
1. क्या हिजाब पहनना इस्लामिक आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा है जो अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित है।
2. क्या स्कूल यूनिफॉर्म का निर्देश अधिकारों का उल्लंघन है।
3. क्या 5 फरवरी का शासनादेश अक्षम और स्पष्ट रूप से मनमाना होने के अलावा अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है?
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जिन्होंने खुली अदालत में फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ा, ने इस प्रकार कहा,
"हमारे सवालों के जवाब हैं, मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। आगे कहा, "हमारा दूसरा जवाब है स्कूल यूनिफॉर्म अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। यह संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते हैं।"